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कितना अजीब ये मंचन है
हर ओर भ्रष्ठाचार मिट रहा है
देश कल्याण मे तड़पता हर बदन है
क्षणभंगुर मगर अभी सच है
मालिक होने का अहसास का क्षण
इस क्षण मे मतवाला हर बदन है
कितना अजीब ये मंचन है
प्रजा का दो-पल जनता मे अवतरण है
वादों मे देश कितना सुखमय है
अब हर हाथ मे लैपटाप है
लफ़्फ़ाजों का ये मौसम है
जिसकी हत्या करवानी है
उसके हाथों ही हत्यारे का चयन है
अधिकारों से लैस अस्थि-पंजर है।
हर पंजर का एक सौदागर है
आरोपों-प्रत्यारोपों का दुकान सजा है
हर दुकान दीमक का एक घर है
हो रहा है भारत निर्माण
इंडिया साइनिंग भी कर रहा है
अभिनेता फैंस बेचने मे लगा है
अधिकारों से औल-बौल पंजर
निर्णय करने चला है
अजीब ये भी मंजर है
रावण को चुनने का आयोजन है
हमारे नेता बड़े दक्ष है
भूख,लाचारी,बेबसी,अशिक्षा
को नाजों से पाला है
अब कौन इसके बेहतर पालक है
गिद्ध,भेड़िया,सियार जनता का निर्णय पलकों पर है
जिसकी हत्या करवानी है
उसके हाथों ही हत्यारे का चयन है
अगर भूख लाचारी बेबसी अशिक्षा
तुन भड़क रहे हो, नादान हो भटक रहे हो
अपने हत्यारे को चुनने से बिदक रहे हो
खैर कोई बात नहीं,तेरे लिए मस्त पैकेज़ है
“नोटा”20 साल तक गुस्से दबाने का मंत्र है
नोटा को तुम दबाओ भड़ास निकालो
लंबी सास लो,
अब तेरा नासीब भी डिब्बे मे कैद है
जिसकी हत्या करवानी है
उसके हाथों ही हत्यारे का चयन है
कितना अजीब ये मंजर है
जनता से अब निवेदन है
चुनाव का दिन भले ही छुट्टी का दिन सही
पर लाइन आपका पिकनिक स्पॉट है
किसी का दबाब न ले
खुल का मोल भाव करें
आपका निर्णय “चुनाव”बेहतर शासन का विकल्प है
अगर भेड़िया सियार पसंद नहीं
आप इन्सानो की एक पार्टी बनाओ
हमारे मजभूत स्तम्भ पैसों के बल
हमारे गिरगिट जैसे बदलते रंग
हमरे अभिनेता का अभिनय के फैंस
को हराओ अपनी इन्सानो की सरकार बनाओ
जैसी जनता जनार्धन है
वैसा ही उसका सेवक है
जिसकी सेवा करवानी है
उसके ही हाथों सेवक का चयन है
कितना अजीब ये मंचन है
चुनाव आज भी बेबस है
जिसकी हत्या करवानी है
उसके ही हाथो हत्यारे का चयन है
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